Wednesday, 29 July 2009

तुम रथी मुझे अर्थी बना लो ,,,(कविता)


शिकायत करती मेरी अंतरात्मा की आवाज




किस द्वंद में फसा दिया ,,,
किस फंद में गिरा दिया ,,,,
एक बूंद से त्रस्त था ,,,,
सागर में डुबा दिया ,,,,
अब कौतुक कर ,,,
उसे निहरता है ,,,,
ह्रदय पट चीर के,,,,
विहरता है,,,,
अदभुद की कभी ,,,
आकान्क्षा नहीं की,,,,
असीम की कभी ,,,
लालसा नहीं की ,,,
फिर भी ऐसा अबरोध,,
इतना बिरोध ,,,,
क्यूँ इतना क्रोध ,,,,
नहीं है इतना बोध ,,,
क्यूँ कटुता लिए हो ,,,
क्यूँ शत्रु किये हो ,,,,
क्यूँ नहीं निकलने देते,,,

इस अनित्य जग के बंधन से ,,,
क्यूँ मुक्त नहीं होने देते ,,,
इस मय के क्रन्दन से ,,,
क्यूँ नहीं होने देते,,,
गम्य में अगम्य का भान ,,,
अंतस में मय का ज्ञान .....
बंधन तोड़ एकी कार कर दो,,,,
निज का सारथी बना दो ,,,,
तुम रथी मुझे अर्थी बना लो ,,,
किस चक्र में कसा दिया ,,,
किस द्वंद में फसा दिया ,,,
किस फंद में गिरा दिया
,,,,

6 comments:

  1. अदभुद की कभी ,,,
    आकान्क्षा नहीं की,,,,
    असीम की कभी ,,,
    लालसा नहीं की ,

    कमाल का लिखते हैं आप.........लाजवाब रचना है......... किसी की भी कामना नहीं करी पर जब द्वंद में आ ही गए हैं तो पूरे से निभाइए .........

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  2. प्रवीन किस किस शब्द की कहूँ हर शब्द ने मुझे स्तब्ध कर दिया है और तुम्हारे शब्दों के रथ पर बैठ्कर पूरी कविता की उँचाईंम्यों को छू कर आयी हूँ जहाँ एक ऐसे कवि को देख रही हूँ जिसकी कलम आसमान छूने जा रही है वो अरथी नहीं सारथी बना बैठा है जवाब अद्भुत सुन्दर कविता हमेशा की तरह बहुत बहुत आशीर्वाद्

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  3. Jeevan ke har sach ko batati hui kavita
    man isi tarah kahta hai
    kis dand mein fansa
    tum rathi mujhe arthi bana do

    aap ki kavita na keval nishabd karti hai balki man ko soch mein daal deti hai
    shabd bhi bahut gahre bahut uchh styareey hote hain

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  4. प्रिय अनुज ,,
    तुम्हारी कविताओं में एक जबर्दस्त भाव ...एक ओज..एक सन्देश..एक तड़प होती है..जो पढने वाला भी महसूस कर लेता है..मगर अभी भी सुधार की गुंजाइश है विशेषकर शब्दों की शुद्धत्ता पर .मुझे यकीन हैं कवि मन जल्दी ही सब ठीक कर लेगा..
    शुभकामनायें

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  5. प्रिय अनुज ,,
    तुम्हारी कविताओं में एक जबर्दस्त भाव ...एक ओज..एक सन्देश..एक तड़प होती है..जो पढने वाला भी महसूस कर लेता है..मगर अभी भी सुधार की गुंजाइश है विशेषकर शब्दों की शुद्धत्ता पर .मुझे यकीन हैं कवि मन जल्दी ही सब ठीक कर लेगा..
    शुभकामनायें

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  6. कविता की हर लाइन अपने आप मैं एक काव्य है
    अति सुन्दर
    आप की रचना प्रेरणा देती है

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