
आज देश को फिर वसन चाहिए \
खून से सना ही सही , तन चाहिए \
जाति धर्म की आग लग रही ,
कोने कोने में,,
देश वैर वैमनस्यता जलाये जारही ।
इस आग के समन का कुछ जतन चाहिए\
आज देश को फिर वसन चाहिए \
खून से सना ही सही , तन चाहिए \
उड़ रही है खून मॉस की आंधिया\
अब और भी निर्वस्त्र हो रही है वेटियाँ \
भूंख और प्रतारणा लिए किसान जी रहा है \
बूंद की आश में बूंद बूंद पी रहा है \
इस मौत की घडी में कुछ हसन चाहिए \
आज देश को फिर वसन चाहिए \
खून से सना ही सही , तन चाहिए \
विकाश और विलासता की लम्बी दौड़ में \
प्रगति और प्रगति की तीखी होड़ में \
जीवन की सहज गति को हमने भुला दिया \
रास्ट्र की प्रगति को हमने भुला दिया \
आज और नहीं इसपे कुछ मनन चाहिए \
आज देश को फिर वसन चाहिए \
खून से सना ही सही , तन चाहिए \
पुकार उठ रही हिम की कन्द्राओ से \
कुछ लव्ज छन के आ रहे प्रसान्त की धाराओ से \
खून से सनी माटियाँ पुकारती है \
देश हित में लड़ी घटिया पुकारती है \
फिर से नेता सुभाष ही करे या गाँधी ही करे \
मुझको तो इन रास्ट्र द्रोही ताकतों का दमन चाहिए \
आज देश को फिर वसन चाहिए \
खून से सना ही सही , तन चाहिए \
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है सच मे आज देश को इक वसन चाहिये है आभार शुभकामनायें
ReplyDeleteBahut bahut sundar bhav aur abhivyakti...
ReplyDeleteIshwar karen yah soch jan jan ke man me awasthit hon aur yah trasad sthiti sudhare.