Friday, 5 March 2010

नपुंसक सरकार भरोसा अन्धा चहिए,,,(प्रवीण पथिक, )

नपुंसक सरकार भरोसा अन्धा चहिए,,,
लोकतंत्र बीमार भरोसा अन्धा चहिए,,,
महँगाई की मार भरोसा अन्धा चहिए,,,
जनता है लाचार भरोसा अन्धा चहिए,,,
भूखा है घर बार भरोसा अन्धा चहिए,,,
कुदरत की भी मार भरोसा अन्धा चहिए,,,
सोता है दरबार भरोसा अन्धा चहिए,,,
वादे है बेकार भरोसा अन्धा चहिए,,,
पिसते है बेजार भरोसा अन्धा चहिए,,,
होगा कभी सुधार भरोसा अन्धा चहिए,,,
लूटने के कई प्रकार भरोसा अन्धा चहिए,,,
बिकता है बाजार भरोसा अन्धा चहिए,,,
चुप्पी साधे अखबार भरोसा अन्धा चहिए,,,
मिलते नित नए प्रहार भरोसा अन्धा चहिए,,,
कोई हटा देगा भर भरोसा अन्धा चहिए,,,
होती हर दिन हार भरोसा अन्धा चहिए,,,
पूंजी शिक्षा का आधार भरोसा अन्धा चहिए,,,
चारो ओर विकार भरोसा अन्धा चहिए,,,
आएगी कभी बहार भरोसा अन्धा चहिए,,,
समता है बीमार भरोसा अन्धा चहिए,,,
नेता दंगो के सरदार भरोसा अन्धा चहिए,,,
होगाकभी उपचार भरोसा अन्धा चहिए,,,
होगा सुखी संसार भरोसा अन्धा चहिए,,,
नपुंसक सरकार भरोसा अन्धा चहिए,,,

6 comments:

  1. sahi kaha aapne
    andher nagri chaupat raja ho to
    bharosa to andha hi hona chahiye.

    jahan sarkar andhi ho
    neta andhe hon
    janta napunsak ho
    wahan to bharosa andha hi hoga na

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  2. रचना तो आपने बहुत सुंदर लिखी .. पर हर बात में सरकार को क्‍यूं दोष दें .. दोनो आंखों के रहते हम खुद अंधे बने हुए हैं !!

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  3. log n to vote dene nikalte hain aur n virodh karne jo kar sakte hain wo bhi nahi karte.

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  4. समता है बीमार भरोसा अन्धा चहिए,,,

    बढने लगा व्यभिचार भरोसा अन्धा चहिए,,,
    लुटेरे बने है पालनहार भरोसा अन्धा चहिए,,,

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  5. शायद आप सही कह रहे हों, पर मई सिर्फ इतना कहूँगा, आधा सच है.
    I mean, somewhere we all stand responsible.
    अप्प सरकार को तो दोष दे रहे हैं पर लोगों का क्या ??? क्या आप और मै इस अंधेपन क लिए जिम्मेदार नहीं हैं ?
    please think on it...


    http://www.youtube.com/watch?v=hLnDwLmVIyY

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  6. वाह क्या खूब लिखा है मन का अक्रोश साफ झलक रहा है। बहुत अच्छी लगी रचना। आशीर्वाद्

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