Friday, 1 January 2010

और बरस एक बीत चला ,,,


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और बरस एक बीत चला ,,,

और बरस एक बीत चला ,,,
सांसो का संगीत चला ,,,
पिछली सब धूमिल यादे,,,
अंकित करता अंकित करता,,,
अपनों का ये मीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला ,,,
सब मीठी वा तीखी यादे ,,,
कुछ आधे कुछ पूरे वादे ,,,
आगोसो में अपने लेके ,,,
जीवन का ये मीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला ,,,
कर धैर्य परिक्षा जीवन की ,,,
ले अग्नि परिक्षा इस तन की ,,,
साहस की एक सीख सिखा के ,,,
अपनों से हो भय भीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला ,,,
रखूगा तुमको यादो के ,,,
सुंदर से एक झरोखे में ,,,
रातो का सपना जैसे,,,
अपनों का ये मीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला,,,
आने बाला कल होगा,
यादो का सगूफा जैसे ,,,
तुम अंतस के चेरे थे ,,,
भूलूंगा तुमको कैसे ,,,
भरती आँखों का गीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला ,,,

प्रवीण पथिक

6 comments:

महेन्द्र मिश्र said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये और बधाई

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा गीत!!


वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-

नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल

rashmi ravija said...

और बरस एक बीत चला ,,,
कर धैर्य परिक्षा जीवन की ,,,
ले अग्नि परिक्षा इस तन की ,,,
साहस की एक सीख सिखा के ,,,
अपनों से हो भय भीत चला ,,,
और बरस एक बीत चला
हर साल कोई ना कोई सीख देकर जाता है....नए साल को और खुशनुमा बनाने के लिए...बहुत ही सुन्दर कविता...भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Mithilesh dubey said...

बहुत ही उम्दा गीत , आपको नव वर्ष की बहुत-बहुत बधाई ।

श्रद्धा जैन said...

Nav varsh ki hardik shubhkamanaayen

kavita bahut pasand aayi

अविनाश वाचस्पति said...

बरस चाहे बीत
चला
वैसे भी बीतते हैं सारे
पर अपनों का कोई भी मीत
बीत नहीं सकता
स्‍मृतियों को कोई
जीत नहीं सकता
याद एक खुशनुमा रह जाये
तो क्‍यों कहें कि बीत चला
मन को, दिल को अपनी
संपूर्णता में जीत चला।