उठ चलो पथिक तुम आभासी चोला छोडो ,,,
जीवन है संग्राम यहाँ , तुम रण की भाषा बोलो ,,,,,
उठ चलो पथिक चिंगारी को ,तुम आग बना दो ,,,,
निर्बल को सम्बल देके , सोये भाग्य जगा दो ,,,,
उठ चलो पथिक ,, मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे छोडो ,,,
जड़ता सूचक है ये ,, मजहब ही दीवारे तोड़ो ,,,,,
उठ चलो पथिक, तुम नव युग का उदघोष करो ...
नव गठित सभी संरचना हो ,वाणी में भी रोष भरो ,,,,
उठ चलो पथिक तुम समता का संचार करो ,,,
न शोषक हो न शोषित हो शोषण का प्रतिकार करो ,,,
उठ चलो पथिक तुम जग में दिनकर सा छा जाओ ,,,,
तुम दीपक बन जलो, दिवाकर बन तम खाओ ,,,,
उठ चलो पथिक इस विष घाटी को अमृत कर दो ..
झट उलट पुलट घट घट अमृत रश भर दो ,,,
उठ चलो पथिक , तुम नर बाघों का संहार करो ,,,
स्वच्छंद विचरणी वसुंधरा हो ऐसा तुम आधार करो ,,
उठ चलो पथिक तुम पदचिन्हों का त्याग करो ,,,
नव पथ के पथगामी बन चिर पथ पर पदभाग धरो ,,,
उठ चलो पथिक तुम त्यागो जीवन की सहज सहजता को ,,,
हर पथ कंटक वाला लो जिसमे गहन विषमता हो ,,,
उठ चलो पथिक तुम चिर विकाश कर नूतन पंथ चला दो ,,,
सामराज्य विजयी आदि मतों को समदर्शी समरंग बना दो ...
उठ चलो पथिक तुम आभासी चोला छोडो ,,,
जीवन है संग्राम यहाँ , तुम रण की भाषा बोलो ,,,,,
जीवन है संग्राम यहाँ , तुम रण की भाषा बोलो ,,,,,
उठ चलो पथिक चिंगारी को ,तुम आग बना दो ,,,,
निर्बल को सम्बल देके , सोये भाग्य जगा दो ,,,,
उठ चलो पथिक ,, मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे छोडो ,,,
जड़ता सूचक है ये ,, मजहब ही दीवारे तोड़ो ,,,,,
उठ चलो पथिक, तुम नव युग का उदघोष करो ...
नव गठित सभी संरचना हो ,वाणी में भी रोष भरो ,,,,
उठ चलो पथिक तुम समता का संचार करो ,,,
न शोषक हो न शोषित हो शोषण का प्रतिकार करो ,,,
उठ चलो पथिक तुम जग में दिनकर सा छा जाओ ,,,,
तुम दीपक बन जलो, दिवाकर बन तम खाओ ,,,,
उठ चलो पथिक इस विष घाटी को अमृत कर दो ..
झट उलट पुलट घट घट अमृत रश भर दो ,,,
उठ चलो पथिक , तुम नर बाघों का संहार करो ,,,
स्वच्छंद विचरणी वसुंधरा हो ऐसा तुम आधार करो ,,
उठ चलो पथिक तुम पदचिन्हों का त्याग करो ,,,
नव पथ के पथगामी बन चिर पथ पर पदभाग धरो ,,,
उठ चलो पथिक तुम त्यागो जीवन की सहज सहजता को ,,,
हर पथ कंटक वाला लो जिसमे गहन विषमता हो ,,,
उठ चलो पथिक तुम चिर विकाश कर नूतन पंथ चला दो ,,,
सामराज्य विजयी आदि मतों को समदर्शी समरंग बना दो ...
उठ चलो पथिक तुम आभासी चोला छोडो ,,,
जीवन है संग्राम यहाँ , तुम रण की भाषा बोलो ,,,,,
4 comments:
waah..........deshbhakti se ot-prot rachna hai..........zindagi jeena sikhati rachna......veer ras ki ek bahut hi sundar rachna.
बहुत खूब .. अच्छा लिखा है !!
सुन्दर रचना
आपकी अपनी सुन्दर अलग सी शैली में
sunder rachna
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