Friday 11 September 2009

शमा औकात में जले बेहतर है ,,(कविता)


जब जुगनुओ में सूरज की चमक हो ,,
तब शमा औकात में जले बेहतर है ,,
जब फुन्गियो पे दौड़ का ऐलान हो ,,
तब जहां हाथ पे चले बेहतर है ,,
जब बुजदिलो के हाथ में सरकार हो ,,,
जुल्म का प्रतिशोध न पले बेहतर है ,,
जब बासिंदों में रिहायस का टकराव हो ,,
बस्तिया हँसती-हँसाती मिले बेहतर है ,,,
जब मजहबो से भगवान् की पहिचान हो ,,
मिलना नहीं खुल कर गले बेहतर है ,,,

13 comments:

Mithilesh dubey said...

भाई वाह प्रवीण जी क्या बात है, आपकी ये रचना सच्चाई को समेटे, लाजवाब है। बहुत खुब। बेहतरिन रचना के लिए बधाई

ओम आर्य said...

bahut hi sundar bhawano ka chitran kari hai .........ntim panktiya kamal ki hai .....bahut hi sundar

वाणी गीत said...

जब बुजदिलो के हाथ में सरकार हो
जुल्म का प्रतिशोध न पले बेहतर है
जब मजहबो से भगवान् की पहिचान हो
मिलना नहीं खुल कर गले बेहतर है
हर पंक्ति आंदोलित करती है.. बहुत बढ़िया ..!!

ज्योति सिंह said...

behtrin rachna .om ji sahi hai .

M VERMA said...

बहुत सुन्दर प्रवीण जी
यथार्थ की परते खोलती रचना
जब मजहबो से भगवान् की पहिचान हो ,,
मिलना नहीं खुल कर गले बेहतर है ,,,
बहुत खूब

विनोद कुमार पांडेय said...

जब बुजदिलो के हाथ में सरकार हो
जुल्म का प्रतिशोध न पले बेहतर है

Bhai thode din ki khamoshi ke baad aapne ek behtareen pari ki shuruaat ki ..bahut badhayi...kavita sandesh deti hai agar koi dil se samjhe to...bahut badhiya ..praveen ji

निर्मला कपिला said...

जब मजहबो से भगवान् की पहिचान हो
मिलना नहीं खुल कर गले बेहतर है
पूरी कविता ही लाजवाब है। आशा है अब तुम पूरी तरह से स्वस्थ हो शुभकामनायें आशीर्वाद

श्रद्धा जैन said...

Praveen ji aapki rachna hamesha hatprbh kar deti hain
bahut khoob
sach samete hue hai har pankti

khul ke gale na mile behatar hai bahut koob

vijay kumar sappatti said...

praveen ji

deri se aane ke liye kshama ...

aapki samasth kavitayen padhi jo ki , samayabhav ke kaaran padh nahi saka ..

bhai , main to aapko pranaam karumnga ki aapki hindi itni acchi hai ki mujhe aapko apna guru maanne me koi harz nahi hai..

aapki is rachna ne to jaise josh paida kar diya hai .. desh ki haalat par jordaar chot karti hui kavita ..

is post ke liye meri badhai sweekar kare..

dhanywad

vijay
www.poemofvijay.blogspot.com

निर्मला कपिला said...

बहुत ही सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति है। हर एक पंक्ति एक सच को समेटे हुये है। बधाई

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया रचना..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

शशांक शुक्ला said...

हिल गया इस कविता से , बेहतरीन लिखा है, ये सच है कि कमज़ोर सरकार के हाथों में बेपनाह ताकत है पर उसके इस्तेमाल की हिम्मत नहीं

निर्मला कपिला said...

वाह प्रवीण बहुत दिन बाद ब्लोग पर आने के लिये क्षमा चाहती हूँ बहुत ही सुन्दर कविता है
जब बुजदिलो के हाथ में सरकार हो
जुल्म का प्रतिशोध न पले बेहतर है
जब मजहबो से भगवान् की पहिचान हो
मिलना नहीं खुल कर गले बेहतर है
क्या सटीक अभिव्यक्ति है बधाई