आज मेरा जन्म दिन है अपने जन्म दिन के उपलक्ष में मैं ये कविता आप लोगो के सामने रख रहा हूँ हमारे यहाँ जन्म दिन पर पुत्र अपनी माँ को कोई भेट देता है तो मैं भेट स्वरूप अपनी यह कविता अपनी तीनो मांओमेरी जन्मदेने बाली माँ मनोरमा माननीय निर्मला जी और भारत माँ को समर्पित कर रहा हूँ इस कविता में मैंने अपने आप को प्रदर्शित करने का प्रयाश किया है और अपने आप को भारत माँ के कण कण से जोड़ने का भी मैं कहाँ तक सफल रहा ये तो आप की प्रतिक्रिया ही बताएगी
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं परिवर्तन की भाषा हूँ ,,
अंगारों भरी जुबान सुनो ...
मैं बोली हूँ हुंकारों की ,,,
चीख नहीं ललकार सुनो ,,,
मैं हूँ शोणित वीरो का ,,,
और गीता का भी ज्ञान सुनो ,,,
निर्बल का मैं संबल हूँ ,,
रोतो की मुस्कान सुनो ,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं गोबर लिपा गलियारा हूँ ,,,
हूँ कच्चा जुडा मकान सुनो ,,
दिन की घनी दुपहरी हूँ ,,,
मैं खेत में जुता किसान सुनो,,
मैं हल के मुठ्ठे की छोटे हूँ ,,,
हूँ बैलो के बंधान सुनो ,,,
मैं जौ बाजरे की रोटी हूँ ,,
हूँ फुलवारी धान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं मंदिर का बजता घंटा हूँ ,,
हूँ मस्जिद की अजान सुनो ,,,
मैं चौपाई हूँ रामायण की ,,
हूँ पवित्र कुरान सुनो ,,,,
मैं हिन्दू मुस्लिम दंगे में पिसता,,
हूँ निर्बल इंसान सुनो ,,,
मैं वाणी हूँ रहीम की ,,
हूँ तुलसी का ज्ञान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं दुर्घटना लाल बाग़ की ,,
हूँ कारगिल का बलिदान सुनो,,
मैं लुटा सिन्दूर अबलाओं का ,,
हूँ त्रासदी भरा बखान सुनो ,,,
उस माँ का इकलौता बेटा हूँ ,,,
इस धरती माँ पे संधान सुनो ,,
रो रो कर पत्थर होती आंखे हूँ ,,
जिन्दा होकर हूँ बेजान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं परिवर्तन की भाषा हूँ ,,
अंगारों भरी जुबान सुनो ...
मैं बोली हूँ हुंकारों की ,,,
चीख नहीं ललकार सुनो ,,,
मैं हूँ शोणित वीरो का ,,,
और गीता का भी ज्ञान सुनो ,,,
निर्बल का मैं संबल हूँ ,,
रोतो की मुस्कान सुनो ,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं गोबर लिपा गलियारा हूँ ,,,
हूँ कच्चा जुडा मकान सुनो ,,
दिन की घनी दुपहरी हूँ ,,,
मैं खेत में जुता किसान सुनो,,
मैं हल के मुठ्ठे की छोटे हूँ ,,,
हूँ बैलो के बंधान सुनो ,,,
मैं जौ बाजरे की रोटी हूँ ,,
हूँ फुलवारी धान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं मंदिर का बजता घंटा हूँ ,,
हूँ मस्जिद की अजान सुनो ,,,
मैं चौपाई हूँ रामायण की ,,
हूँ पवित्र कुरान सुनो ,,,,
मैं हिन्दू मुस्लिम दंगे में पिसता,,
हूँ निर्बल इंसान सुनो ,,,
मैं वाणी हूँ रहीम की ,,
हूँ तुलसी का ज्ञान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
मैं दुर्घटना लाल बाग़ की ,,
हूँ कारगिल का बलिदान सुनो,,
मैं लुटा सिन्दूर अबलाओं का ,,
हूँ त्रासदी भरा बखान सुनो ,,,
उस माँ का इकलौता बेटा हूँ ,,,
इस धरती माँ पे संधान सुनो ,,
रो रो कर पत्थर होती आंखे हूँ ,,
जिन्दा होकर हूँ बेजान सुनो ,,,
मैं आज चाहता हूँ देना परिचय,,
हूँ भारत माँ का सम्मान सुनो,,
मैं रास्ट्र भक्ति की बोली हूँ ,,,,
हूँ झंडे का मान सुनो ,,,
14 comments:
जोश भरी रचना..जन्म दिन की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
देशभक्ति से ओत प्रोत बहुत सुंदर रचना लिखा आपने .. आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई !!
जनमदिन की बहुत-बहुत बधाई और वीररस से परिपूर्ँ कविता के लिए भी बहुत-बहुत बधाई.....
जन्म दिन की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.रचना तो बहुत दमदार है.
जन्म दिन की बेला पर ये पंक्तियाँ एक यादगार हैं ! बेहतरीन रचना है !! जन्म दिन हार्दिक बधाई !!
जियो हजारों साल और यूँ लिखो कमाल |
परिवर्तन की परिभाशा
अँगारों भरी जुबान हूँ
बहुत खूबसूरत पहले तो जन्मदिन पर बधाई और ढेरों आशीर्वाद कविता बहुत सुन्दर और लाजवाब है बस इतना ही कहूँगे कि अपने इस जोश को जगाये रखना आज भारत मा को ऐसे ही जोश और जज़्बे की जरूरत है
श्रम और ात्मविश्वास हों आपके संकल्प मँज़िल पाने के लिये यही है विकल्प
मुझे सम्मान देने के लिये धन्यवाद नहीं आशीर्वद और शुभकामनायें ही दूँगी
आपको जन्मदिन की बधाई, उत्कृष्ट रचना है आपकी
Praveen ji bahut khubsurat likha aapne hamari dua hai ki aap yuhi likhte rahe aur aage badte rahe
ek baar punah HAPPY BIRTH DAY
एक दिन बाद ही सही
देने का लाभ भी है
समझ तो सकोगे
कि जन्मदिन मुबारक हो
।
कविताएं लिखते हो ऐसी
जो अंगार बरसाती हैं।
praveen ji , janmdin ki shubkaamnayen......
deshprem se bhari hui is rachna ke liye meri dil se badhai sweekar kariye...
kavita ko maine bahut dhyaan se padha hai .. kay kahun ... desh me ho rahi har baat ko aapne apne shashakt shabdo se baand diya hai ...
itni gahri abhivyakti jaise ki wakai angaare ugal rahe ho ...
badhai ..
आपको जन्मदिन की बधाई, कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई.....
desh bhakti ki bhawana se paripurn hai aap ki rachna
aap ka lekhan bhut sashakt hai
जुमला भा गया
आहट है कैसी ? वक़्त ये कैसा है आ गया
बनाकर बहाना गाय का कोई इंसान खा गया
टूट पड़े सन्नाटे कल तक खामोशियाँ छाई थी
दंगे ही दंगे है वक़्त -ऐ- हुड्दंग जो आ गया
मिलकर भुगतो चुनली हुकूमतें हमने ऐसी ऐसी
अफसोफ़ लोट के दौर -ऐ- रावण जो आ गया
सहते आये थे फिर कुछ बदलने की आस थी
अब ना कर शिकवा तब हमें जुमला जो भा गया
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