Monday 10 August 2009

क्या मालुम था मेरा शोणित केवल पानी कहलायेगा (


aआज हमारे शहीदों के साथ क्या हो रहा है जिसे जब जो दिल में आता है बोल देता है ये सोचने का प्रयाश भी नही करता की उसके द्बारा बोले गए शब्द कहाँ पर लगते है आख़िर आप उनका सम्मान नही कर सकते तो अपमान तो ना करो , कभी कोई कहता है ये मुठ भेड़ग़लत है , कभी कोई कहता है अग़रशहीद नही होता तो घर पर (........) भी नही आता शहीदों की आत्मा जो कही पर जरुर होगी जब ये सब देखती होगी तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा उसी दर्द को लिखने का प्रयाश किया है



क्या मालुम था मेरा शोणित ,,
केवल पानी कहलायेगा ,,,
क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,
ओछा आँका जाएगा ,,,
क्या मालुम था मरने पर भी ,,
अपमानित होकर रोना होगा ,,,
मेरी विधवाओं को पल पल ,,,
दर्दो को ही ढोना होगा ....
क्या मालुम था बलिदानी किस्सा ,,
अखबारों मे खो जाएगा,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,

केवल पानी कहलायेगा ,,,

उंगली उठेगी बलिदानों पर ,,
ये सत्कार भला होगा ,,,
लहू अश्रु रोयेगा वो ,,,
जो बलिदानी चाल चला होगा ,,,
आग लगेगी सीने मे ,,,
रो आसूं पी जाएगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,

केवल पानी कहलायेगा ,,,

खूब भुनायेगे बलिदानों को ,,,
वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,,,
वो नोटों की खातिर ,,,
नेताओं की साझ सजेगी ,,,
प्यासा सैनिक रह जाएगा ,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,

केवल पानी कहलायेगा ,,,

क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
क्या मालुम था बलिदानों को ,,,
उपहासों मे बोला जाएगा,,,
धूल पड़ेगी तस्वीरों पर ,,,
कुछ मोल नहीं रह जायेगा ,,,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,

केवल पानी कहलायेगा ,,,

क्या मालुम था जीवन अर्पण ,,

ओछा आँका जाएगा ,,,

9 comments:

M VERMA said...

क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
प्रवीण जी
बेहतरीन रचना, आज के समय मे जो शहीदो के प्रति धारणा बनायी जा रही है चिंतनीय है.

संगीता पुरी said...

चहुंओर रहती है आपकी निगाहें .. सबके दर्द को महसूस कर पाना आसान नहीं .. बहुत अच्‍छा लिख रहे हैं .. आपको शुभकामनाएं !!

वाणी गीत said...

बहुत बढ़िया ...!!

विनोद कुमार पांडेय said...

बेहतरीन रचना,
बेहद उम्दा विचार देश की रक्षकों को नमन करता हुआ.

धन्यवाद,प्रवीण जी..

निर्मला कपिला said...

खूब भुनायेगे बलिदानों को ,,,
वो वोटो की खातिर ,,,
खूब सुनायेगे भाषण ,,,
वो नोटों की खातिर ,,,
नेताओं की साझ सजेगी ,,,
प्यासा सैनिक रह जाएगा ,,
क्या मालुम था मेरा शोणित ,,

केवल पानी कहलायेगा ,,,
प्रवीन हर बार तुम अपनी रचना से मुझे सतब्ध कर देते हो इस लाजवाब रचना के लिये मेरे पास शब्द नहीं हैं देश के प्रति और शहीदो के प्रति तुम्हारी संवेदनायें काबिले तारीफ हैं लय मे बहते हुये बेहतरीन अभिव्यक्ति बधाई

ओम आर्य said...

ek maarmik rachana.......sundar bhaw

Mithilesh dubey said...

क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,

भाई वाह क्या बात है। लाजवाब रचना

vijay kumar sappatti said...

praveen ji

aap ki rachnaao me deshbhakti ka jo josh dikhta hai wo kabile tareef hai ... mera naman hai aapko is rachna ke liye aur aapki shashakt lekhni ke liye ...

namaskar.

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

उम्मीद said...

aap ki rachnao main ek alag se baat hai ....jo maan ke andar tak chot kar deti hai
क्या मालुम था वीरो का अर्पण ,,,
पैसे से तोला जायेगा ,,,
theek likha hai aap ne
aaj kal sab kuch paisa hi ho gaya hai , balidan or prem ka to koi mulya hi nahi rah gaya is 21vi sadi main
is baat ka mujhe bhut dukh hai