बंदिशो में न रहती मोहब्बत ,
उसे तो खुला आशियाना चाहिए ,
प्रेम की कशिश भी क्या कशिश हैप्रिये ,,,
हम तो तनहा जिए व तनहा मरे ।
तान्हाइयो से हुई है मोहब्बत,,,
तन्हाईयो का ही दरमियाना चाहिए ।
बंदिशो में न रहती मोहब्बत ,
उसे तो खुला आशियाना चाहिए,,
खुदा गवाह इसमें कत्ले आम होते ,
बिछुड़ते कितने कितने रोते ।
कालिख से पुते दिन मौत सी ये राते,
पर हमें प्रेम का दिया ना चाहिए ,
बंदिशो में न रहती मोहब्बत ,
उसे तो खुला आशियाना चाहिए,
गली की कलि फूल बन के इतराई,
हालत पे उसके हमको तरश आयी,
न गली के गीत , न चमन के संगीत,
हमें तो पुराना रागियाना चाहिए ।
बंदिशो में न रहती मोहब्बत ,
उसे तो खुला आशियाना चाहिए,
प्रेम की परी भी थी तनहा मरी ,
क्यों करी थी मोहब्बत , क्यों मोहब्बत करी
है मिलन की न चाहत ,,
अबतनहाइयो का ही दर्मियाना चाहिए ,
बंदिशो में न रहती मोहब्बत ,
उसे तो खुला आशियाना चाहिए...
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