Wednesday 22 April 2009

जाने क्यों ये पतझड़ आता ,,,


जाने क्यों ये पतझड़ आता ,,,

जाने क्यों मन भाता बसंत ,,,

क्यों कलिया मुस्काती ?

फिरखिल जाती ,

क्यों भौरेगाए तितली इठलाती ?

मौसम भी कितना सुहाता,,,

जाने क्यों ये पतझड़ आता ,,,

जाने क्यों मन भाता बसंत ,,,

कोयल गाए मन को भाए,

वायु भी एक राग सुनाये ,,,

पीपल बरगद नीम सब फूले

पंछी गाए निज सुधि भूले ,,

पेखी स्वर्ग मन खो जाता ,,,,

जाने क्यों ये पतझड़ आता ,,,

जाने क्यों मन भाता बसंत ,,,

पल पल धरणी का मन बढ़ता ,,

नाचे मयूर जब वादल मढ़ता …

खेतो की हरियाली ढल ,,,

पिला सोना लायी भर,,,

मनवा भी खोले निज कर ,,

झूमे राग फागुनी गाता,,,,,

जाने क्यों ये पतझड़ आता ,,,

जाने क्यों मन भाता बसंत ,,,

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