Wednesday 22 April 2009

मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,



मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,

तेरी ये जवानी रहेगी न एक सी,

लापता से कली बन के खिल गई तू ,,

डोलते भौरे अनगिनत दुःख कि , भरमाई तू ,,

आज है जो वो , कल था या कल होगा :

सोच सोचने को क्या ?तू दंभ में फ़सी,,

मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,

तेरी ये जवानी रहेगी न एक सी ……

जब तक खिली तेरी जवानी रहेगी ॥

है सैकडो । फिर निशानी रहेगी ॥

निचुड़ते जवानी के सब सपने झड़ जायेंगे ॥

इन दिनों कि याद में लगे गी दिल पे चोट सी,

मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,

तेरी ये जवानी रहेगी न एक सी ……

बुडापा तंग होगा ये रौनक भी नहीं ,,,

अपनी समझती वो जवानी भी होगी नहीं,,

पल पल के यार है जो तेरे ये

पलट ते ही उनके लिए तू होगी अनजान सी ॥

मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,

तेरी ये जवानी रहेगी न एक सी ……

प्रेम को ठुक राया तूने तब तुझ को समझ होगी ॥

चाहता था जो ,, तब उसकी नहीं तेरी गरज होगी ,,

थाम दामन अंधड़ से तुझको वो उबारे गा ……

शब्द न होगे देखती रहेगी तू ठगी सी ,,,,,

मत नाज कर अपनी रौनक पर ये हसी ,

तेरी ये जवानी रहेगी न एक सी ……





No comments: