Monday 27 April 2009

जलता भारत


कल कुछ अजब घटा मेरे मन में ,,,,
जब नहीं मिला सुकू कंही पर जा पंहुचा मुर्दा घर मैं ,,,
घूमा पूरा कब्रिस्तान और कब्रों पर लेता मैं,,,
घूमा घामा और बैठ गया ,,,,
एक चौडी पटिया पाकर मैं,,,,
तभी हुआ अट्टहास कहीं से कोई कब्रों से उठ आया ,॥
आँखे फटी हुई थी मेरी वो तेजी से गुर्राया ,,,,,
अट्टहास कर बोला मैं चंगेजी बाबर हूँ ,,,,,
भारत का सर माया ,,,,,
रे नाचीज क्यों सोते से तूने मुझे जगाया,,,
फिर जब मैंने उसको सारा हाल बताया ,,,,
बोला मैं भी देखूं इतना परिवर्तन भारत में कैसे आया ,,,
जिद कर के चला साथ वो बिछडे भारत का सर माया,,,
जब घूमा सारा भारत बो घबराया ,,
शरमाया,, चकराया ,,पकडा माथा और बड़बडाया ,,,,,
अब और नहीं देखना अपने भारत का अपमान अहो ,,,
क्या यही प्रगति है इस जलते भारत की दोस्त कहो ,,,
नारी की अस्मिता से खेले क्या ये वही धीर है,,,
नामर्दों सा करे भांगडा क्या ये वही वीर है ,,,,
इज्जत की खातिर लड़ने बाले अब चिल्लम चिल्ला करते है ,,,,
आरी लाशो से रण को भरने बाले अब लाशो का सौदा करते है ,,,
सडको पर अधनंगी घूमे क्या ये वही वीरांगना नारी है ,,,
जिसकी शौर्य गाथाओं से सिंहो के दिल दहला करते थे ,,,,
जिसकी चरणों की राज को वीरो के झुंड उमड़ते थे ,,,,
जिसकी भ्रकुटी की कोनो से अंगारे गिरते थे ,,,
आज घुमती वो चिथरो में ,,,,
क्यों खोया अपना स्वाभिमान कहो ,,,,
अब और नहीं देखना पाने भारत का अपमान अहो ,,,
क्या यही प्रगति है इस जलते भारत की दोस्त कहो ,,, ,,,,,
तीखे अंगारे थे उसकी आँखों में बाबर रोता जाता था ,,,,
अपनी आँखों के पानी से ये भारत धोता जाता था ,,,,
बोला मेरे भारत को आज बचा लो प्यारे ,,,,
बंद करो ये बेसुरे राग झूठी प्रगति के अभिनन्दन में,,,
कल कुछ अजब घटा मेरे मन में ,,,,

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