Wednesday 22 April 2009

पीके भंग जब खेले रंग…


पीके भंग जब खेले रंग…

तोहरे संग हम गोरी,,,,,,

सब दंग दंग जब तोरे अंग अंग ??

कर दे हम जोरा जोरी ,,,,

उलक उलक जब पुलक पुलक ,,,

भर मारे पिचकारी ,,,,,,,,

कुछ हरित हरित कुछ लाल लाल,

रंग दूँ चुनरिया जब सारी ,,,,,,,

तेरा गोरा रंग ये चोली तंग ,,,,,

मारे योवन किलकारी,,,,,,,

कुछ अटक अटक ,,

कुछ खटक खटक..

दिल जाए भटक ना गोरी ,,,,,

मलूँ रंग तोरे अंग अंग,,,,

जगह ना छोडू थोरी ,,,,,,,

तू हया दया ,,,,

तू शर्म शर्म ,,,,

तू सिमट सिमट,,,

तू झिझक झिझक,,

जब तू कतराए ,,,,,,,

हम दौड़ दौड़,,,

इह छौड छौड,,,

उही छौड छौड ,,,,

पकडू वहिया थारी ,,,,,,,,,

डाल कमर में वहिया तोरी ,,,,,

हम मले रंग कर जोरा जोरी …॥

जब चडे भंग ,,,

करे हुडदंग ,,,,,

रहे शर्म ना थोरी ,,,,,

पीके भंग जब खेले रंग…

तोहरे संग हम गोरी,,,,,,

No comments: