Wednesday 22 April 2009

हे प्राणी उनकी जय वोलो…


हे प्राणी उनकी जय वोलो…

देश शान पे निज मिटा दिया …

माँ के चरणों में सर कटा दिया ,,

हँसते हुए चूमा फासी का फंदा ॥

मरने को तैयार था बन्दा बन्दा…।

अब तो अपना मुह खोलो ,,,,,,,,

हे प्राणी उनकी जय वोलो ,,,,,,

सच्चे थे वो प्यारे थे ,,,,,

वो देश भक्त ही न्यारे थे ,,,

अंगारे जिनकी शय्या थी …।

यह देश ही जिनकी मैया थी ,,,

अब तो प्यारे आंखे खोलो …॥

हे प्राणी उनकी जय वोलो ……

चाह थी मरते दम तक आजादी की ,,,

घर की चिंता थी न शादी की ,,,

खुद कष्ट लिया तुम्हें चैन दिया ,,,,

अरी रक्तो से भर दी नदिया,,,,,

जो राह दिखाई उसपे होलो ……

हे प्राणी उनकी जय वोलो ,,,,,,,,,



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