Wednesday 22 April 2009

उच्छल जीवन की निश्वाश ,,,,,


न्यारी दीदी प्यारी दीदी ,,,

मार्त रूप तुम ,,,

भार्त रूप तुम,,,

उच्छल जीवन की निश्वाश ,,,

त्रण त्रण टूटा मन तुम उसकी आस ,,,

दुःख सी गहरी,,,

सुख की प्रहरी (“”"”")

चंचलता में निश्चलता की मूर्ति??

हो मेरे नीराश जीवन की पूर्ति,,

करुणा में ,,,

करूणामय”"”"”"”"”"

खिलाती कष्टो की किलकारी ,,,

एसी अदभुत है दीदी हमारी,,,

॥न्यारी दीदी प्यारी दीदी ,,,


No comments: